एक आदमी बारमें बैठकर अकेलाही दु:खी मनस्थितीमें पी रहा था. थोडी देर बाद उसका एक दोस्त उसके पास आते हूए बोला,
'' क्या दोस्त .. बहुत दु:खी लग रहे हो ... "
"क्या हुवा ?''
'' मेरी मां ऑगस्टमें मर गई , '' उसने कहा.
'' अरे रे'' उसका दोस्त दुखी स्वरमें बोला.
'' बेचारी मेरे लिए 2.5 लाखकी इस्टेट छोडकर गई '' वह आदमी आगे बोला.
'' फिर सप्टेबर में मेरे पिताजी गुजर गए '' उसने कहा.
'' अरेरे एक के पिछे एक दो महिनेमें दो रिस्तेदार गुजर गए ... बहुत बुरा हुवा '' उसके दोस्तने कहा.
'' बेचारे मेरे लिए 9 लाख रुपए छोडकर चले गए '' वह आदमी बोला.
'' और पिछले महिनेमें मेरी चाची मुझे छोडकर चली गई ''
'' अरेरे बहुतही बुरा हुवा '' उसका दोस्त बोला.
'' वह मेरे लिए 1.5 लाख रुपए छोडकर गई '' वह आदमी बोला.
'' तिन नजदिकी रिस्तेदार ... एक के बाद एक तिन महिनेमें ... सचमुछ बहुत बुरा हुवा '' उसके दोस्तने कहा.
'' और इतने दुखी होकर तुम यहां अकेले पिते हुए बैठे हो... कही इसी महिनेभी कोई गुजर गया तो नही? '' उस दोस्तने पुछा.
'' नही ना इस महिनेमें कोई गुजर गया नही ... इसी बातकातो दु:ख है '' वह आदमी बोला.
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