एक बार एक अंधा मुसाफिर मुंबई आ गया. मुंबई पहूंचनेके बाद हवाई अड्डेपर रखे बेंचको हाथ लगाकर टटोलकर देखते हूए बह बोला, '' बापरे यहांकी कुर्सीयां तो बहुत बडी है ..''
वहा खडे एक हिंदूस्तानीने कहा, '' यहां मुंबईमें सब कुछ बडा बडा है ''
घुमते हूए वह एक बारमें गया और उसने एक बियर मंगाई. बारटेंडरने बियर भरा हूवा एक बडासा मग उसके हाथमें थमाया तो उसने कहा, '' बापरे यहां कितने बडे मग है .''
'' यहां मुंबईमें सबकुछ बडा बडा है '' उस बारटेंडरने कहा.
दोन तिन बियर पिनेके बाद उस अंधे मुसाफिरने बारटेंडरको पुछा की 'बाथरुम कहा है? '.
'' सिधे.. दाई तरफ दुसरा दरवाजा '' बारटेंडरने बताया.
वह अंधा मुसाफिर बाथरुम जाने लगा, लेकिन गलतीसे वह दुसरा दरवाजा लांगकर तिसरा दरवाजा खोलकर अंदर जाकर वहां स्विमिंग पुलमें जाकर गिर गया.
थोडी देर बाद जब वह पुरी तरह भिगा हूवा बारटेंडरके पास आ गया तब बारटेंडरने उसे पुछा, '' अरे क्या हुवा ... तुम गिले कैसे हो गए हो? ''
'' तुम ठिक कहते हो... यहां सबकुछ बडा बडा है... लेकिन बाथरुमभी इतना बडा होगा कभी सोचा नही था..'' वह अंधा मुसाफिर बोला.
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