अभिषेक - यार मै बड़ी मुसीबत में फँस गया हूँ ..
आदर्श - क्यों क्या हुवा ?
अभिषेक - अरे मैंने मेरे घर में एक चूहा देखा है !
आदर्श - ओह , ऐसी बात है तो ... एक काम करो ...
चूहे पकड़ने वाली मशीन का इस्तामाल करो ...
अभिषेक - चूहा पकड़ने वाली मशीन... मेरे पास नहीं है ...
आदर्श - तो एक खरीद लो ...
अभिषेक - मेरे पास अभी उतने पैसे भी नहीं है ...
आदर्श - अगर तुम्हे चैहिये तो मै मेरे पास वाली मशीन दे सकता हूँ ..
अभिषेक - हाँ ये ठीक .रहेगा ..
आदर्श - बस तुम्हे ये करना है की चूहा मशीन के पास आये इसके लिए थोडा चीज इस्तमाल करना पड़ेगा ...
अभिषेक - मेरे पास तो चीज भी नहीं है।..
आदर्श - ओके ... फिर एक काम कर थोड़ो ब्रेड का टुकडा लो और उसमे थोडा तेल लगाकर उसे चूहा पकड़ने के मशीन में लगा दो ...
अभिषेक - मेरे पास तेल भी नहीं है ...
आदर्श - तेल नहीं है ... तो खा ली ब्रेड का टुकड़ा रखा तो भी चलेगा ...
अभिषेक - मेरे पास ब्रेड भी नहीं है यार ...
आदर्श - चीज नहीं है ... तेल नहीं है ... और ब्रेड भी नहीं है ... तो साला वो चूहे का पिल्ला तेरे जैसे भुक्कड़ के घर में क्या कर रहा है ...
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