कॅसेट


एक कवी शायरी सुना रहा था, लेकिन जैसेही वह बोलने लगता उसकी नकली बत्तीसी बाहर निकल आती,
बहुत देर तक ऐसा चलता रहा,
आखिर एक बेसब्र हुए एक श्रोतासे रहा नही गया. 
उसने कहा, ' महाशय कुछ सुनाओगेभी या सिर्फ कॅसेटही बदलते रहोगे'

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