दिवालीके दिनो सब तरफ पटाखे चल रहे थे. ऐसेमें एक सरदारजीके बच्चेने निचेसे अपने पिताजीको जोरसे आवाज दिया, '' पिताजी आप बाल्कनीमें आवो और निचे देखो .......
देखो मै कितना बडा पटाखा जला रहा हूं''
सरदारजीने बाल्कनीसे निचे देखा और वह ""नही...."
" चिल्लाता हूवा निचे दौड पडा.
जब सरदारजी निचे पहूंचा तो उसका बच्चा वह पटाखा जलाही रहा था तो सरदारजीने '' नही....'' कहते हूए उसे जोरसे धक्का देकर दूर गिरा दिया.
सरदारजीके बच्चेने अपने मैले हूए कपडे झटकते हूए, उठते हूए अपने पिताजीसे पुछा, '' क्यों क्या हूवा?''
सरदारजीने अपने बच्चेको डांटते हूए कहा , " गधे वह पटाखा नही... गॅस का सिलेंडर है "
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