संता, बंता और जंता


संता, बंता और जंता तिन सरदारजी एक द्वीप पर अटक जाते है. 
वे तिनों मनसे भगवानको याद करते है और भगवान उनके सामने प्रगट हो जाते है. 
भगवान उन्हे एक इच्छीत वस्तू मांगनेके लिए बोलता है. भगवान जब संताको अपनी इच्छा जाहिर करनेके लिए बोलता है तो संता मांगता है, ''भगवान मुझे बुद्धीमान बना दो '' '' तथास्तू'' भगवान कहता है. 
संता तैरकर उस द्वीपसे नदीके किनारे पहूंचता है. 
अब दुसरा सरदार बंता अपनी इच्छा जाहिर करता है , '' भगवान मुझे संतासे जादा बुध्दीमान बना दो.'' '' तथास्तू'' भगवाने कहता है. 
बंता एक नाव बनाकर नांवमें बैठकर द्वीपसे नदीके किनारेतक पहूंचता है. 
अब तिसरा सरदार जंता अपनी इच्छा जाहिर करता है , 
''भगवान मुझे संता और बंतासेभी बुध्दीमान बना दो'' '' तथास्तू'' भगवान कहता है. 
जंता पुलपरसे चलते हूए नदीके किनारेतक पहूंचता है.

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